हरिद्वार: जगतारनी मां गंगा जन-जन का जीवन भवसागर से पार लगाती है। उक्त उद्गार कनखल सन्यास रोड़ स्थित रामेश्वर आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान करने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर आयी मां गंगा भारत की जीवन रेखा है। मां गंगा के दर्शन मात्र करने से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। गंगाजल में स्नान और गंगाजल के आचमन से जीवन भवसागर से पार हो जाता है। स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा जीते जी तो मानव का कल्याण करती ही है। मृत्यु के उपरांत गंगा में अस्थि प्रवाह करने से मनुष्य जनम मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि गंगा जल अनेक औषधीय गुणों से युक्त है और कभी खराब नहीं होता। यह वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित हो चुका है। इसके अलावा गंगा भारत के बड़े भूभाग को सिंचित करती है। जिससे भारत की कृषि प्रणाली को मजबूती मिलती है। लेकिन मानवीय गलतियों के चलते गंगा और उसका पर्यावरण लगातार प्रदृषित हो रहा है। जोकि बड़ी चिंता का विषय है। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए गंगा में किसी प्रकार की गंदगी ना डालें। दूसरों को भी गंगा स्वच्छता के लिए प्रेरित करें। सभी के सम्मिलित प्रयासों से ही गंगा को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाया जा सकता है।